"भारत की न्यायपालिका की गंदगी और उसका समाधान"

 

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एशिया में पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश से सटा हुआ एक देश है जिसका नाम है होनोलुलु!

यहां जब यूपीए की सरकार थी, तब एक कानून मंत्री थे जिनका नाम था कलसेक्स कनु पिंघवी (अभी का विलोम कल होता है)।

कलसेक्स कनु पिंघवी उस कॉलेजियम के सदस्य थे जिसे दिल्ली हाई कोर्ट में जज चुनने की जिम्मेदारी दी गई थी। कई वरिष्ठ वकीलों को पता चला कि कलसेक्स कनु वियाग्रा लेकर खूबसूरत महिला वकीलों को अपने चेंबर में बुला रहे हैं और जज बनाने के एवज में उनका शोषण कर रहे हैं।

कुछ वकीलों ने कलसेक्स कनु के ड्राइवर को मोटा पैसा देकर उनके चेंबर में हिडेन कैमरा लगा दिया। फिर एक भरे पूरे गदराई बदन की महिला वकील जज बनने का ख्वाब लेकर कलसेक्स कनु पिंघवी के चेंबर में गई। उसके बाद का सारा दृश्य कैमरे में रिकॉर्ड हुआ।

कलसेक्स कनु पिंघवी ने सबसे पहले वियाग्रा की नीली गोली ली। महिला वकील हंसते हुए कहती है, "लगता है आज हुजूर मंत्री जी के इरादे नेक नहीं हैं," और हंसने लगती है। फिर कलसेक्स कनु पिंघवी का हाथ जैसे ही उस अर्धनग्न महिला के कमर के ऊपर पहुंचा, महिला ने बड़ी अदा और बड़े प्यार से पूछा, "जज कब बना रहे हो? बोलो ना डियर, जज कब बना रहे हो?"

अब साहब ने जो भी उत्तर दिया था, वह सारा सीन उस सेक्स-सीडी में रिकॉर्ड हो गया। कलसेक्स कनु पिंघवी कहता है, "लिस्ट आने दो, तीसरा नाम तुम्हारा ही है। बस तुम कपड़े खोलो।" और जब रिजल्ट आया था, तब सच में तीसरा नाम उस महिला वकील का ही था जो दिल्ली हाईकोर्ट में जज चुनी गई थी। 

वह तो अपनी इज्जत बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उसका अपॉइंटमेंट रद्द कर दिया था। देश के कानून मंत्री और कॉलेजियम के वरिष्ठ सदस्य कलसेक्स कनु पिंघवी की सेक्स लीला आम जनता के सामने आ गई और यूट्यूब पर अपलोड हो गई। उस जमाने की न्यायपालिका, पुलिस और केंद्र सरकार, जो सब कुछ कांग्रेस के अंतर्गत थी, ने किसी ने भी उस दरिंदे मंत्री पर केस नहीं किया, गिरफ्तार नहीं किया, बस इस्तीफा ले लिया गया।

बलात्कार की परिभाषा में यह है कि यदि कोई पुरुष किसी महिला का, भले ही वह बालिग क्यों ना हो और भले ही उस महिला की सहमति से उसके साथ यौन संबंध बना रहा हो, यदि वह उसे लालच देकर यौन संबंध बना रहा है तो वह बलात्कार की परिभाषा में आएगा। 

लेकिन जानते हैं तब की न्यायपालिका ने क्या किया? वह वरिष्ठ वकील और कानून मंत्री सीधे सुप्रीम कोर्ट गया और सिर्फ 10 मिनट में यूट्यूब को नोटिस देकर वीडियो को हटाने के आदेश दिए गए। और वह व्यक्ति अपने ताकत का इस्तेमाल करके सुप्रीम कोर्ट से एक आदेश पास करवा लेता है कि जो भी व्यक्ति उसकी सेक्स लीला को कहीं भी अपलोड करेगा उसके ऊपर क्रिमिनल कार्रवाई की जाएगी। 

तुरंत ही पैसा देकर भारत की समूची मीडिया को खरीद लिया गया। इतना बड़ा कांड सामने आया लेकिन किसी भी मीडिया में कोई बहस नहीं हुई। मतलब कि बलात्कार करने वाले को कुछ नहीं हुआ, उल्टे उन प्रहरियों को जो उसकी काम लीला को उजागर कर रहे थे उन्हें ही अपराधी घोषित कर दिया गया। 

अब आप कल्पना करिए कि भारत की न्यायपालिका को क्या कहा जाए! 

और जब नरेंद्र मोदी जी ने इसी कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ कानून बनाकर यह तय किया कि जज की नियुक्ति भी बाकायदा यूपीएससी के तर्ज पर हो, बिना किसी परीक्षा के जज का बेटा जज ना बने और न्यायपालिका में भी दलित, आदिवासी चुनकर आएं जिसमें प्रतिभाशाली लोग हों और जो परीक्षा देकर जज बने, न कि किसी कानून मंत्री या किसी वरिष्ठ वकील या किसी कॉलेजियम के सदस्य के बिस्तर से जज बने, तो भारत की ताकतवर न्यायपालिका और भारत के विपक्ष ने हंगामा मचाकर उस कानून को लागू ही नहीं होने दिया।

और जो लोग कह रहे हैं कि मोदी 400 सीट लाकर क्या करेगा! तो मोदी भारत की न्यायपालिका की यही गंदगी को साफ करेगा जो गंदगी न्यायपालिका में फैली है!

Sunil Kumar Sharma

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