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| भारतीय कानून |
भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए कुछ महत्वपूर्ण कानून और कानूनी अधिकारों का ज्ञान आवश्यक है। यहां 15 ऐसे महत्वपूर्ण कानून और अधिकार दिए गए हैं:
FIR लिखने से इनकार नहीं: पुलिस अधिकारी आपकी FIR लिखने से मना नहीं कर सकते। ऐसा करने पर उन्हें 6 महीने से 1 साल तक की जेल हो सकती है। ~ भारतीय दंड संहिता, 166A
होटल में फ्री पानी और वाशरूम का उपयोग: कोई भी होटल, चाहे वो 5 स्टार ही क्यों न हो, आपको फ्री में पानी पीने और वाशरूम का उपयोग करने से नहीं रोक सकता। ~ भारतीय सरिउस अधिनियम 1887
शादीशुदा व्यक्ति और अविवाहित/विधवा महिला का संबंध: कोई शादीशुदा व्यक्ति किसी अविवाहित लड़की या विधवा महिला से उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है तो यह अपराध नहीं है। ~ भारतीय दंड संहिता व्यभिचार, धारा 498
ड्राइविंग के समय शराब की मात्रा: यदि आपके 100ml ब्लड में अल्कोहल का लेवल 30mg से ज्यादा है तो पुलिस बिना वारंट आपको गिरफ्तार कर सकती है। ~ मोटर वाहन एक्ट, 1988, सेक्शन 185, 202
महिला गिरफ्तारी के समय की सीमा: किसी भी महिला को शाम 6 बजे के बाद और सुबह 6 बजे से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। ~ आपराधिक प्रक्रिया संहिता, सेक्शन 46
लिव-इन रिलेशनशिप का अधिकार: यदि दो वयस्क लड़का या लड़की अपनी मर्जी से लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं तो यह गैर कानूनी नहीं है। और इनसे पैदा होने वाली संतान भी कानूनी होगी और उसे पिता की संपत्ति में अधिकार मिलेगा। ~ घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005
पुलिस अधिकारी की ड्यूटी: एक पुलिस अधिकारी हमेशा ही ड्यूटी पर होता है चाहे उसने यूनिफार्म पहनी हो या नहीं। यदि कोई व्यक्ति इस अधिकारी से कोई शिकायत करता है तो वह यह नहीं कह सकता कि वह ड्यूटी पर नहीं है। ~ इंडियन पुलिस एक्ट, 1861
गर्भवती महिला का नौकरी से निकाला जाना: कोई भी कंपनी गर्भवती महिला को नौकरी से नहीं निकाल सकती, ऐसा करने पर अधिकतम 3 साल तक की सजा हो सकती है। ~ मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961
हेलमेट और वाहन चालकों के अधिकार: वाहन चालकों को हेलमेट लगाना अनिवार्य है। लेकिन ट्रैफिक पुलिस के द्वारा गाड़ी या मोटरसाइकिल की चाबी निकालना गैर कानूनी है। ~ मोटर वाहन अधिनियम
टैक्स उल्लंघन और गिरफ्तारी: टैक्स उल्लंघन के मामले में, कर वसूली अधिकारी आपको गिरफ्तार कर सकता है, लेकिन पहले नोटिस भेजना जरूरी है। केवल टैक्स कमिश्नर यह तय करता है कि आपको कितनी देर तक हिरासत में रखा जाएगा। ~ आयकर अधिनियम, 1961
महिला पुलिसकर्मी द्वारा गिरफ्तारी: केवल महिला पुलिसकर्मी ही महिलाओं को गिरफ्तार कर सकती हैं। पुरुष पुलिसकर्मी शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे के बीच महिलाओं को गिरफ्तार नहीं कर सकते, जब तक कि मजिस्ट्रेट से लिखित आदेश न हो। ~ दंड प्रक्रिया संहिता, 1973
त्यौहार के मौके पर गिफ्ट लेना: यदि आप किसी कंपनी से त्यौहार के मौके पर गिफ्ट लेते हैं तो यह रिश्वत मानी जाएगी और इसके लिए सजा हो सकती है। ~ विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (FCRA) 2010
अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP): कोई भी दुकानदार उत्पाद के लिए MRP से अधिक रुपये नहीं मांग सकता, लेकिन उपभोक्ता MRP से कम पर उत्पाद खरीदने के लिए मोलभाव कर सकता है। ~ अधिकतम खुदरा मूल्य अधिनियम, 2014
सैलरी न मिलने पर अधिकार: यदि आपका ऑफिस आपको सैलरी नहीं देता है तो आप उसके खिलाफ 3 साल के भीतर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। ~ परिसीमा अधिनियम, 1963
सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील गतिविधि: यदि आप सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील गतिविधि में संलिप्त पाए जाते हैं तो आपको 3 महीने तक की कैद हो सकती है। ~ भारतीय दंड संहिता, धारा 294
इन अधिकारों और कानूनों के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप एनसीआईबी मुख्यालय के अधिकारिक पेज से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code - IPC) भारत में अपराधों की परिभाषा और उनके लिए निर्धारित दंड की संहिता है। इसे भारतीय कानून की रीढ़ माना जाता है और इसका उद्देश्य अपराधों को रोकने और न्याय प्रदान करने का है।
भारतीय दंड संहिता की प्रमुख धाराएं और उनका संक्षिप्त विवरण:
धारा 120A और 120B (आपराधिक साजिश): किसी अपराध को अंजाम देने के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों का मिलकर योजना बनाना।
धारा 141 से 160 (गैरकानूनी जमावड़ा और दंगे): पांच या अधिक व्यक्तियों का किसी गैरकानूनी कार्य के लिए एकत्र होना और इससे संबंधित अपराध।
धारा 299 से 304 (हत्या और मानव वध):
- धारा 299: मानव वध की परिभाषा।
- धारा 300: हत्या की परिभाषा।
- धारा 302: हत्या के लिए दंड (मृत्युदंड या आजीवन कारावास)।
- धारा 304: गैर इरादतन हत्या के लिए दंड।
धारा 307 (हत्या का प्रयास): हत्या का प्रयास करने के लिए सजा।
धारा 323 से 326 (आघात और गंभीर आघात): किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाना और गंभीर चोट पहुंचाने के अपराध।
धारा 351 से 354 (हमला और महिला की गरिमा का अपमान): हमला, अपराधमय बल और महिला की गरिमा का अपमान।
धारा 375 और 376 (बलात्कार):
- धारा 375: बलात्कार की परिभाषा।
- धारा 376: बलात्कार के लिए दंड।
धारा 378 से 382 (चोरी): चोरी, गृहभेदन और इनसे संबंधित अपराध।
धारा 390 से 402 (डकैती और डकैती): लूट और डकैती के अपराध।
धारा 415 से 420 (धोखाधड़ी): धोखाधड़ी और छल-कपट के अपराध।
धारा 499 से 502 (मानहानि): मानहानि की परिभाषा और इससे संबंधित अपराध।
धारा 503 से 506 (आपराधिक धमकी): किसी को आपराधिक रूप से धमकी देना।
धारा 509 (महिलाओं की गरिमा का अपमान): किसी महिला की गरिमा को अपमानित करने के उद्देश्य से कोई शब्द, संकेत या कार्य करना।
धारा 511 (अपराध का प्रयास): किसी अपराध को अंजाम देने का प्रयास।
संहिता का महत्व:
भारतीय दंड संहिता का उद्देश्य न्याय प्रणाली को एक ठोस आधार प्रदान करना है। यह विभिन्न अपराधों को परिभाषित करती है और उनके लिए उचित दंड निर्धारित करती है, जिससे कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलती है।
भारतीय दंड संहिता का निर्माण 1860 में हुआ था और इसे 1862 में लागू किया गया। इसे भारत में थॉमस बैबिंगटन मैकाले की अध्यक्षता में पहले विधि आयोग द्वारा तैयार किया गया था।
यह संहिता न केवल भारत में बल्कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और म्यांमार में भी कानूनी ढांचे का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
अधिक जानकारी और विस्तृत अध्ययन के लिए, आप भारतीय दंड संहिता की मूल पुस्तक या विश्वसनीय कानूनी संसाधनों का संदर्भ ले सकते हैं।
धन्यवाद 🙏
