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| Image Source : Amar Art Media |
"मैंने सत्संग में जाने से किया था मना...', हाथरस हादसे में उजड़ा परिवार, पीड़ितों के आंखों से छलकता आंसूहाथरस सत्संग भगदड़: हाथरस में हुए हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों के लिए दो-दो लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया गया है। हादसे की जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं।
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में आयोजित सत्संग में मची भगदड़ में 116 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग घायल हैं। हाथरस के सिकंदरामऊ क्षेत्र में सत्संग हो रहा था, जिसमें हिस्सा लेने के लिए पड़ोसी जिलों के लोग भी पहुंचे हुए थे। इस दर्दनाक हादसे में सबसे ज्यादा महिलाओं की मौत हुई है। मिली जानकारी के मुताबिक, ज्यादातर लोगों की मौत दम घुटने और कुचले जाने से हुई है। हाथरस हादसे में किसी ने अपनी मां तो किसी ने अपनी बेटी को खोया है।
परिजनों को इस तरह से खो देने का दुख लोगों के चेहरों पर साफ नजर आ रहा है। कमला नाम की एक महिला की 16 वर्षीय बेटी की भी भगदड़ में मौत हुई है। कमला ने कहा, "मैं 20 साल से बाबा के सत्संग में आ रही हूं। मैं अपनी 16 साल की बेटी के साथ सत्संग में शामिल होने गयी थी और दोपहर करीब 2 बजे भगदड़ मच गई। मैं और मेरी बेटी मामूली रूप से घायल हो गए। वह ठीक थीं लेकिन अस्पताल पहुंचते ही वह बेहोश हो गईं, बाद में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।"
'मेरा सबकुछ उजड़ गया'
कुछ ऐसा ही हाल विनोद का है, जिनका इस हादसे में पूरा परिवार ही उजड़ गया है। विनोद की पत्नी, मां और 16 साल की बेटी की भगदड़ में मौत हो गई। विनोद ने रोते बिलखते हुए एएनआई को बताया, "मुझे नहीं मालूम था कि वे तीनों सत्संग में गई हैं, क्योंकि मैं बाहर गया हुआ था। किसी ने मुझे बताया कि सत्संग में भगदड़ मच गई है, जिसके बाद मैं घटनास्थल पर पहुंचा। यहां आने पर पता चला कि मेरी बेटी, मां और पत्नी की मौत हो चुकी है। मुझे तो मेरी मां का शव भी नहीं मिला। मेरा सबकुछ उजड़ गया।"
'अभी तक नहीं मिली मां'
हाथरस में मची भगदड़ में 3.5 साल के एक बच्चे की भी मौत हुई है। बच्चे के चाचा कुंवर पाल ने कहा, "बच्चा अपनी मां के साथ यहां आया था। अभी तक उसकी मां गायब है। हम लोग अलीगढ़ के रहने वाले हैं।" हादसे में घायल हुए एक पीड़ित के परिजन हीरा लाल अलीगढ़ से यहां आए थे। हीरा लाल ने बताया, "मेरा पूरा परिवार सत्संग में हिस्सा लेने के लिए बस से यहां आया था। भगदड़ में घायल हुई भाभी को छोड़कर मेरे परिवार के सभी सदस्य ठीक हैं।"
सत्संग में जाने से करता था मना'
महताब की पत्नी गुड़िया देवी बाबा के सत्संग में शामिल होने के लिए आई थीं। उन्हें नहीं मालूम था कि शायद ये उनकी जिंदगी का आखिरी दिन होगा। महताब ने रोते-बिलखते हुए अपना दुख बताया। उन्होंने कहा, "मैंने उसे कई बार बाबा के सत्संग में जाने से रोका, लेकिन वह नहीं मानी। वह हमारी बेटी और दो पड़ोसी महिलाओं के साथ सत्संग के लिए आई थी। इस घटना में दोनों पड़ोसी महिलाओं और मेरी पत्नी की मौत हो गई है। फिलहाल मेरी बेटी सुरक्षित है।"
हाथरस हादसे में मरने वालों में सबसे ज्यादा महिलाएं
दरअसल, हाथरस जिले के पुलराई गांव में प्रवचनकर्ता बाबा नारायण हरि द्वारा सत्संग का आयोजन किया गया था। इसमें हिस्सा लेने के बाद लोग अपने-अपने घरों को लौट रहे थे, तभी भगदड़ मच गई। बाबा नारायण हरि को उनके अनुयायी साकार विश्व हरि भोलेबाबा के नाम से भी जानते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि हादसे में 116 लोगों की मौत हुई है, जिनमें सात बच्चों और एक पुरुष को छोड़कर सभी मृतक महिलाएं हैं।
