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| चौधरी चरण सिंह |
3 अप्रैल 1967 को चौधरी चरण सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था। उस समय उत्तर प्रदेश विधानसभा में केवल दो मुसलमान विधायक थे। एक दिन विधायक कमाल यूसुफ ने चौधरी चरण सिंह से कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के लिए न केवल हिंदुओं की वोटों से बल्कि मुसलमानों की भी समर्थन दी थी, और अब उन्हें उनकी मांगों को मानना चाहिए।
चौधरी चरण सिंह ने इस पर कहा कि वह उनकी मांगों को मानेंगे, और यदि नहीं मानते तो क्या करेंगे। उस विधायक ने उत्तर दिया कि मुसलमान जन्मजात बहादुर होते हैं और वे अपनी मांगें लड़कर ही मनवा सकते हैं। चौधरी चरण सिंह ने उनकी बहादुरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुसलमानों के इतिहास में तलवार की नोक के बल पर धर्म छोड़ने वाले को बहादुर कैसे कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनके पूर्वजों ने 700 साल तक मुसलमानों के साथ तलवार लड़ी है, लेकिन वे फिर भी अपने धर्म को नहीं छोड़े।
चौधरी चरण सिंह की इस बहादुरी को लेकर सराहना की जाती है, जो उन्होंने अपने स्थान पर उठाई और अपने मंत्रियों के साथ न्याय और समाजिक समरसता के लिए काम किया।को चौधरी चरण सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था। उस समय उत्तर प्रदेश विधानसभा में केवल दो मुसलमान विधायक थे। एक दिन विधायक कमाल यूसुफ ने चौधरी चरण सिंह से कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के लिए न केवल हिंदुओं की वोटों से बल्कि मुसलमानों की भी समर्थन दी थी, और अब उन्हें उनकी मांगों को मानना चाहिए।
चौधरी चरण सिंह ने इस पर कहा कि वह उनकी मांगों को मानेंगे, और यदि नहीं मानते तो क्या करेंगे। उस विधायक ने उत्तर दिया कि मुसलमान जन्मजात बहादुर होते हैं और वे अपनी मांगें लड़कर ही मनवा सकते हैं। चौधरी चरण सिंह ने उनकी बहादुरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि मुसलमानों के इतिहास में तलवार की नोक के बल पर धर्म छोड़ने वाले को बहादुर कैसे कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनके पूर्वजों ने 700 साल तक मुसलमानों के साथ तलवार लड़ी है, लेकिन वे फिर भी अपने धर्म को नहीं छोड़े।
चौधरी चरण सिंह की इस बहादुरी को लेकर सराहना की जाती है, जो उन्होंने अपने स्थान पर उठाई और अपने मंत्रियों के साथ न्याय और समाजिक समरसता के लिए काम किया।
