शीला दीक्षित का नेतृत्व: एक मिसाल
शीला दीक्षित ने 15 साल तक दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर कार्य किया। इस दौरान, 8 साल तक केंद्र में भाजपा की सरकार थी, और कई बार हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में कांग्रेस सत्ता में नहीं थी। लेकिन इन 15 वर्षों में, शीला दीक्षित का एक भी बयान ऐसा नहीं मिल सकता जिसमें उन्होंने दिल्ली में पानी की कमी या बाढ़ के लिए उत्तर प्रदेश, हरियाणा या हिमाचल प्रदेश को दोषी ठहराया हो।
सच्चे नेतृत्व की पहचान
एक पुरानी कहावत है कि खराब कारीगर कभी अपनी काबिलियत पर सवाल नहीं उठाता, बल्कि हमेशा अपने औजारों को दोषी ठहराता है। यही हाल आज केजरीवाल का है। उन्होंने दिल्ली में प्रदूषण की समस्या के लिए पहले पंजाब को दोषी ठहराया था। लेकिन जैसे ही पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, उनका ध्यान उत्तर प्रदेश और हरियाणा पर चला गया।
दोषारोपण से बचें, समाधान खोजें
यह दर्शाता है कि जब जिम्मेदारियों से बचना हो, तो दोषारोपण करना सबसे आसान रास्ता बन जाता है। केजरीवाल ने दिल्ली की समस्याओं के लिए कभी खुद की पार्टी की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया, बल्कि हमेशा दूसरों को दोष देने का रास्ता चुना। इससे यह साफ होता है कि सच्चा नेतृत्व वही है जो समस्याओं का समाधान ढूंढने की कोशिश करे, ना कि दूसरों पर आरोप लगाए। शीला दीक्षित ने इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया, जो आज के नेताओं के लिए एक महत्वपूर्ण सबक हो सकता है।
