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राजस्थान में अजमेर दरगाह को हिन्दू मंदिर बताने वाली याचिका पर बुधवार को यहां सिविल न्यायालय (पश्चिम) में सुनवाई हुई। image Source MSN |
राजस्थान के अजमेर में स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर एक विवादास्पद याचिका पर सिविल कोर्ट (पश्चिम) में बुधवार को सुनवाई हुई। दिल्ली निवासी और राष्ट्रीय हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर इस याचिका में दरगाह को एक प्राचीन शिव मंदिर घोषित करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का दावा है कि दरगाह का निर्माण मंदिर के अवशेषों पर हुआ है, और इसे संकटमोचन महादेव मंदिर के रूप में घोषित किया जाना चाहिए।
इस सुनवाई के दौरान अदालत ने निर्देश दिया कि याचिका में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों को हिंदी में अनुवादित किया जाए और अन्य आवश्यक कमियों को पूरा किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को निर्धारित की गई है।
गौरतलब है कि 23 सितंबर को याचिका दाखिल होने के बाद एक स्थानीय अदालत ने पहले इस मामले को अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर मानते हुए सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। हालांकि अब, अजमेर के सिविल कोर्ट (पश्चिम) ने इस मामले की सुनवाई का संज्ञान लिया है। याचिकाकर्ता ने याचिका में यह भी मांग की है कि दरगाह को संचालित करने वाले अधिनियम को अमान्य घोषित किया जाए, हिंदू श्रद्धालुओं को पूजा करने का अधिकार प्रदान किया जाए और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से उस स्थान का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करवाने का निर्देश दिया जाए।
गुप्ता के वकील शशिरंजन ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल ने दो साल तक शोध किया है और उनके निष्कर्ष में यह दावा किया गया है कि दरगाह स्थल पर पहले एक शिव मंदिर था, जिसे मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किया गया था और बाद में उस स्थान पर दरगाह का निर्माण किया गया। अदालत ने इस मामले में कुछ दस्तावेजों को अनुवादित करने और अन्य प्रक्रियात्मक खामियों को दूर करने का आदेश दिया है।