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| PM Modi's Russia Visit: 'नेहरूफोबिया से ग्रस्त लोगों को भी...,' जयराम रमेश का PM मोदी पर तंज; कही ये बात© जागरण द्वारा प्रदत्त |
PM मोदी की रूस यात्रा: 'नेहरूफोबिया' पर जयराम रमेश का तंज; किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक बार फिर 'नेहरूफोबिया' पर निशाना साधा है। रमेश ने मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को पंडित नेहरू की भूमिका की याद दिलायी जानी चाहिए। यह तंज ऐसे समय में आया है जब मोदी रूस में महत्वपूर्ण कूटनीतिक मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।
इस घटनाक्रम से यह सवाल उठता है कि राजनीतिक आलोचना वास्तविक मुद्दों को कितनी बार पीछे छोड़ देती है। इस लेख में, हम इस विवाद के विभिन्न पहलुओं और इसमें शामिल राजनीति पर गहराई से नजर डालेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा वर्तमान समय में एक महत्वपूर्ण विषय बनी हुई है। इस यात्रा का राजनीतिक और कूटनीतिक महत्व काफी ज्यादा है। आइए, इस यात्रा के उद्देश्यों और रूस के साथ हुई द्विपक्षीय वार्ता पर विस्तार से चर्चा करें।
यात्रा का उद्देश्य: प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या था, इसे विस्तार से बताएं।
प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा के कई महत्वपूर्ण उद्देश्य थे:
- रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना: भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक और रणनीतिक साझेदारी है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य इस साझेदारी को और भी मजबूत करना है।
- ऊर्जा सहयोग: ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए। रूस विश्व का एक प्रमुख ऊर्जा निर्यातक है और भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- सुरक्षा और रक्षा सहयोग: सुरक्षा और रक्षा मामले पर भी विचार-विमर्श करना था। रक्षा उपकरणों और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना भी प्रमुख उद्देश्य था।
- वैश्विक मुद्दों पर चर्चा: यूक्रेन के मुद्दे, आतंकवाद, और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करना भी इस यात्रा के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल था।
रूस के साथ द्विपक्षीय वार्ता: रूस के साथ प्रधानमंत्री मोदी की द्विपक्षीय वार्ता के मुख्य मुद्दे और परिणाम।
प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई:
- यूक्रेन संघर्ष: यूक्रेन संघर्ष पर भी गहन विचार-विमर्श हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने शांति और स्थिरता के महत्व को रेखांकित किया।
- ऊर्जा सहयोग: इस वार्ता में ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग पर विशेष जोर दिया गया। रूस ने भारत को ऊर्जा सुलभ कराने का वचन दिया।
- रक्षा सहयोग: रक्षा उपकरणों की आपूर्ति और सह-उत्पादन के क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने पर सहमति बनी।
- व्यापार और निवेश: द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए व्यापारिक नीतियों पर भी चर्चा हुई। निवेश के नए अवसरों पर भी विचार-विमर्श हुआ।
- वैज्ञानिक और टेक्नोलॉजी सहयोग: वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में साझेदारी को और गहरा करने पर जोर दिया गया।
इस यात्रा के परिणामस्वरूप, भारत और रूस की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूती मिली है, जो दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित होगी।
जयराम रमेश का तंज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के दौरान, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 'नेहरूफोबिया' का मुद्दा उठाते हुए पीएम मोदी पर तंज कसा। इस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा हुई। आइए, इस विवाद और इसके विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से नजर डालें।
नेहरूफोबिया क्या है?
'नेहरूफोबिया' एक ऐसा शब्द है जो राजनीति में पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रति अकारण नफरत और डर को दर्शाता है। यह शब्द विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोग किया जाता है जो नेहरू की नीतियों और उनके योगदान को कमतर आंकते हैं, और अक्सर वर्तमान राजनीति में भी उनके नाम का इस्तेमाल करते हैं।
- राजनीतिक महत्व: नेहरूफोबिया का राजनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव है। यह शब्द अक्सर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के लिए इस्तेमाल होता है। उदाहरण के लिए, जब भी कोई नेता नेहरू की नीतियों की आलोचना करता है, तो उनके विपक्षी इस शब्द का उपयोग कर उन्हें कटघरे में खड़ा करते हैं।
- प्रभाव: नेहरूफोबिया का उपयोग केवल आलोचना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण होता है जब किसी मुद्दे को नेहरू और गांधी परिवार से जोड़ने की कोशिश की जाती है।

Photo by Sebastian Coman Photography
जयराम रमेश के तर्क
जयराम रमेश ने अपने तंज में यहां कुछ प्रमुख तर्क दिए:
- इतिहास की याद दिलाना: जयराम रमेश ने पंडित नेहरू की ऐतिहासिक भूमिका की याद दिलाई, विशेष रूप से सोवियत संघ के विघटन और स्वतंत्र ऑस्ट्रिया के उदय में। उनका कहना था कि जो लोग 'नेहरूफोबिया' से ग्रस्त हैं, उन्हें नेहरू की इन उपलब्धियों को नहीं भूलना चाहिए।
- समकालीन आलोचना: रमेश ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार नेहरू के योगदान को बार-बार नजरअंदाज करते हैं और इसके बजाय उन्हें नकारात्मक रूप से पेश करने की कोशिश करते हैं। रमेश ने इसे राजनीति के खेल का हिस्सा बताया जो वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए किया जाता है।
- दूसरा तंज: रमेश ने यह भी तंज कसा कि नरेंद्र मोदी अपने नेतृत्व को नेहरू के के साथ तुलना करने की कोशिश करते हैं, लेकिन तथ्य यह है कि दोनों के शासन का समय और परिस्थितियाँ पूरी तरह अलग थीं।
इन तर्कों से यह जाहिर होता है कि जयराम रमेश का मकसद केवल राजनीतिक कटाक्ष करना नहीं था, बल्कि वे जनता को नेहरू के ऐतिहासिक महत्व और उनके योगदान की याद दिलाने का प्रयास कर रहे थे।
जयराम रमेश का यह तंज सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरे राजनीतिक उद्देश्य और इतिहास के पुनः स्मरण की कोशिश है। रमेश चाहते हैं कि लोग नेहरू के योगदान को याद रखें और वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को सही परिप्रेक्ष्य में समझें।
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राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा ने भारतीय राजनीति में अनेक प्रकार की प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है। इस प्रकरण पर विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं न केवल उनकी राजनीतिक नीतियों को दर्शाती हैं, बल्कि उन्हें आगामी चुनावों में कैसे भुनाया जा सकता है, इस पर भी प्रकाश डालती हैं। आइए, इस यात्रा पर भाजपा, कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाओं पर विस्तार से नजर डालें।
भाजपा की प्रतिक्रिया: भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इस बारे में क्या कहा
प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने जोर-शोर से समर्थन किया है। भाजपा नेताओं का दावा है कि यह यात्रा भारत के रणनीतिक और कूटनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसे मोदी की नेतृत्व क्षमता का एक और प्रमाण माना।
- रविशंकर प्रसाद: पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के साथ हमारे संबंधों को एक नई ऊंचाई पर पहुँचाया है। यह यात्रा हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।"
- स्मृति ईरानी: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी इस यात्रा की तारीफ की है। उन्होंने कहा, "मोदी जी की यह यात्रा हमें अंतर्राष्ट्रीय मंच पर और मजबूत बनाएगी। उनकी निर्णय क्षमता देश को एक नई दिशा दे रही है।"
- नरेंद्र सिंह तोमर: उन्होंने कहा, "रूस के साथ हमारे संबंध न केवल ऐतिहासिक हैं, बल्कि ये भविष्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस यात्रा के माध्यम से ये सिद्ध कर दिया है कि हमारा कूटनीतिक दृष्टिकोण कितना गहरा और व्यापक है।"
कांग्रेस की प्रतिक्रिया: कांग्रेस के अन्य नेताओं ने इस मुद्दे पर अपने विचार कैसे व्यक्त किए
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ नेताओं ने इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा, वहीं कुछ नेताओं ने इसे राजनीतिक चश्मे से देखा और आलोचना भी की।
- जयराम रमेश: जयराम रमेश ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, "यह यात्रा केवल दिखावा है। असली मुद्दे नेहरूफोबिया से उत्पन्न होते हैं। हमें नेहरू के योगदान को नहीं भूलना चाहिए।"
- राहुल गांधी: राहुल गांधी ने इस यात्रा पर कहा, "हमारा विदेश नीति हमेशा से मजबूत रही है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह हमारे जमीनी मुद्दों से ध्यान हटाने का जरिया न बने।"
- प्रियंका गांधी वाड्रा: प्रियंका गांधी ने कहा, "प्रधानमंत्री की विदेश यात्राएं महत्वपूर्ण हो सकती हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश में भी कई समस्याएं हैं, जिन्हें समाधान की आवश्यकता है।"
अन्य पार्टियों की प्रतिक्रिया: अन्य राजनीतिक पार्टियों ने इस घटना पर क्या प्रतिक्रिया दी
अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस यात्रा पर अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। इनमे से कुछ प्रतिक्रियाएं समर्थन की तो कुछ आलोचनात्मक रही हैं।
- ममता बनर्जी (टीएमसी): पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, "यह यात्रा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत कर सकती है, लेकिन हमें यह भी देखना चाहिए कि देश में क्या चल रहा है।"
- अरविंद केजरीवाल (AAP): दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने टिप्पणी की, "प्रधानमंत्री मोदी को देश की आंतरिक समस्याओं पर भी ध्यान देना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय संबंध महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हमें अपने देश की जनता की जरूरतों को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।"
- अखिलेश यादव (सपा): समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा, "यह यात्रा केवल एक प्रचार का हिस्सा हो सकती है। हमें यह देखना होगा कि इससे भारत को वास्तव में क्या फायदा हो रहा है।"
इस प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा ने भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में कई अलग-अलग आवाज़ों को जन्म दिया है। विभिन्न दलों की प्रतिक्रियाएं इस बात को उजागर करती हैं कि इस यात्रा का राजनीतिक महत्व कितना व्यापक है।
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सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा पर सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर प्रतिक्रिया दी। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इस मुद्दे पर बड़ी संख्या में चर्चाएँ हुईं। आइए देखें, लोगों की क्या प्रतिक्रियाएँ थीं और किस प्रकार की चर्चाएँ हुईं।
ट्विटर पर प्रतिक्रियाएँ: ट्विटर पर लोगों ने इस मुद्दे पर क्या कहा
ट्विटर पर पीएम मोदी की रूस यात्रा और जयराम रमेश के तंज पर लोग अपनी-अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। यहाँ कुछ प्रमुख प्रतिक्रियाएँ हैं:
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समर्थक और आलोचक:
- कुछ लोगों ने पीएम मोदी की यात्रा की सराहना की और इसे भारत के लिए महत्वपूर्ण बताया। एक यूज़र ने लिखा, "मोदी जी की रूस यात्रा हमारे देश को वैश्विक मंच पर और मजबूत करेगी।"
- वहीं, कई लोग जयराम रमेश के तंज पर सहमत दिखे और नेहरू की विरासत की याद दिलाई। एक और यूज़र ने कहा, "नेहरू की भूमिका को नकारना गलत है, हमें उनके योगदान को सम्मान देना चाहिए।"
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राजनीतिक विश्लेषकों की राय:
- कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने इस मुद्दे पर गहराई से विचार किया। एक विशेषज्ञ ने ट्वीट किया, "मोदी की रणनीतिक साझेदारी मजबूत हो रही है, लेकिन नेहरूफोबिया पर रमेश के तंज का भी अपना महत्व है।"
- एक और विश्लेषक ने लिखा, "यह तंज सिर्फ राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि वर्तमान और ऐतिहासिक घटनाओं का सही विश्लेषण है।"
फेसबुक और इंस्टाग्राम पर प्रतिक्रियाएँ: फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इस मुद्दे को लेकर क्या चर्चाएँ हुईं
फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी इस मुद्दे पर ज़ोरदार चर्चा हुई। यहाँ कुछ मुख्य बिंदु हैं:
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फेसबुक पर चर्चाएँ:
- समर्थन और आलोचना:
- एक फेसबुक यूज़र ने लिखा, "प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा हमारे कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।"
- दूसरे यूज़र ने अपनी पोस्ट में कहा, "रमेश का तंज सही है, नेहरूफोबिया का जवाब देना जरूरी है।"
- वीडियो और मेम्स:
- कई लोगों ने इस बारे में वीडियो और मेम्स भी साझा किए जो तेजी से वायरल हुए। इनमें मोदी की यात्रा और रमेश के तंज दोनों ही प्रमुख विषय बने।
- समर्थन और आलोचना:
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इंस्टाग्राम पर प्रतिक्रियाएँ:
- स्टोरीज़ और पोस्ट्स:
- इंस्टाग्राम पर कई लोगों ने स्टोरीज़ और पोस्ट्स साझा किए। एक यूज़र ने अपनी स्टोरी में लिखा, "नेहरू का योगदान अनमोल है, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।"
- इंस्टाग्राम लाइव और रील्स:
- इंस्टाग्राम लाइव और रील्स में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई। कई इन्फ्लुएंसर्स और यूज़र्स ने इस पर अपने विचार व्यक्त किए और फैन्स के साथ बातचीत की।
- स्टोरीज़ और पोस्ट्स:
इस प्रकार, पीएम मोदी की रूस यात्रा और जयराम रमेश के तंज पर सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। जनता ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और अपने विचार खुलकर व्यक्त किए।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा और कांग्रेस नेता जयराम रमेश के तंज ने भारतीय राजनीति में एक नए बहस का सूत्रपात किया है। इस यात्रा का राजनीतिक, कूटनीतिक और रणनीतिक महत्व अनदेखा नहीं किया जा सकता।
रमेश के तंज ने अतीत और वर्तमान राजनीति को मिलाकर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया है। उन्होंने नेहरू की विरासत को याद दिलाते हुए, यह संकेत दिया कि राजनीतिक आलोचना केवल एक दृष्टिकोण तक सीमित नहीं रहनी चाहिए।
भारत और रूस की साझेदारी को मजबूत बनाने के उद्देश्यों के बावजूद, इस विवाद से एक महत्वपूर्ण सवाल उभरता है कि कैसे आलोचना और समर्थन दोनों का सही संतुलन बनाया जाए।
इस प्रकार, यह घटना भारतीय राजनीति और समाज पर व्यापक प्रभाव डाल सकती है, जिसमें नेताओं और जनता दोनों को अतीत और वर्तमान के योगदान को समग्र दृष्टिकोण से समझने की आवश्यकता है।
