| अनु टंडन |
संदीप टंडन और अनु टंडन की रहस्यमयी कहानी
संदीप टंडन, एक इंडियन रिवेन्यू सर्विस (IRS) के अधिकारी थे, जिन्होंने 2008 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारी के रूप में कार्य किया। उस समय मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। संदीप टंडन के नेतृत्व में रिलायंस हाउस और HSBC बैंक पर छापे मारे गए थे। इन छापों के दौरान क्या बरामद हुआ, यह जानकारी मीडिया में नहीं आई।
छापे के एक हफ्ते बाद, खबर आई कि संदीप टंडन ने ED की नौकरी छोड़कर रिलायंस में डायरेक्टर का पद स्वीकार कर लिया। यह कदम काफी विवादास्पद था क्योंकि ऐसा करना न केवल अनैतिक था बल्कि हितों के टकराव का भी स्पष्ट उदाहरण था।
कुछ समय बाद, यह भी खबर आई कि संदीप टंडन को स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में एक विला मिला था, जहां वह आठ महीने से रह रहे थे। स्विट्जरलैंड की मीडिया में खबरें आईं कि मनमोहन सरकार के दौरान सोनिया गांधी, रॉबर्ट वाड्रा, प्रियंका वाड्रा, और राहुल गांधी वहां छुट्टियां मनाने जाते थे और संदीप टंडन के विला में रहते थे।
संदीप टंडन की रहस्यमयी मौत
संदीप टंडन की कहानी तब और रहस्यमयी हो गई जब वह अपने घर के बाथरूम में मृत पाए गए। उनकी मौत के बाद, उनके शव का पोस्टमार्टम नहीं करवाया गया और भारतीय दूतावास ने जल्दी-जल्दी उनके शव को मुंबई भेजकर अंतिम संस्कार करवा दिया।
अनु टंडन की राजनीतिक यात्रा
संदीप टंडन की मौत के बाद, उनकी विधवा पत्नी अनु टंडन को मुकेश अंबानी ने अपनी सॉफ्टवेयर कंपनी मोटिफ में अनुदान के रूप में दे दिया। सेबी को बताया गया कि यह उनके कर्मचारी और डायरेक्टर की विधवा हैं, इसलिए इन्हें यह कंपनी दी गई, जिसकी उस समय वैल्यू 3000 करोड़ रुपए थी।
इसके बाद अनु टंडन को कांग्रेस ने उन्नाव से टिकट दिया और उनके चुनाव प्रचार के लिए शाहरुख खान, कैटरीना कैफ, सलमान खान सहित पूरा बॉलीवुड भेजा गया। अनु टंडन एक बार सांसद रहीं, इसके बाद कांग्रेस ने दो बार और टिकट दिया, लेकिन दोनों बार हार गईं।
निष्कर्ष
संदीप टंडन और अनु टंडन की कहानी में कई रहस्यमयी पहलू हैं। यह कहानी सत्ता, पैसे और प्रभाव के गठजोड़ का एक उदाहरण है। इसमें यह दिखाया गया है कि कैसे बड़े व्यवसाय और राजनीति एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और कैसे इसका प्रभाव समाज और देश की राजनीति पर पड़ता है।