जिस तकनीक की बात करने जा रहे है उससे लड़ाकू विमान तो क्या कोई भी विमान अदृश्य हो सकता है लेकिन सिर्फ लड़ाकू विमान में इस तकनीकी को प्रयोग में लाने की इजाजत है क्युकी अदृश्य होकर वार करना जीत का दृश्य होने जैसा है।
ये तकनीक "सटील्थ तकनीक" (स्टील्थ टेक्नोलॉजी) है इसी तकनीक के जरिए विमान को अदृश्य करना संभव हुआ| चलिए बताता हूं ये संभव कैसे हुआ और कैसे ये तकनीक काम करता है जो विमान को अदृश्य करता है
स्टील्थ तकनीक का मुख्य लक्ष्य ही यही था कि युद्ध के समय विमान को अदृश्य कैसे किया जाए
इस तकनीक के दो तरीके है जिससे अदृश्य होते है
1.विमान को एक ऐसी आकर दी गई जिससे रडार से आने वाले रेडियो सिग्नल्स जो विमान को प्रतिबिंबित करता है( अर्थात विमान के पोजिशन , डायरेक्शन , उच्चाई, लंबाई , गति, इत्यादि। का जानकारी देता है ) . जब ये रेडियो सिग्नल्स विमान से स्ट्राइक करता है तो ये वापिस उस रडार इंस्ट्रूमेंट में वापिस न जाकर दिशाविहीन होकर इधर उधर रिफ्लेक्ट हो जाता है | सिग्नल के दिशाविहीन होने से विमान का कोई सूचना वापिस नहीं मिल पाता है|
स्टील्थ टेक्नॉलाजी में विमान को पूरी तरह से फ्लैट सतह और तेज धार वाला नोज में त्यार किया गया | बिल्कुल नीचे के इमेज के जैसा
2. विमान को ऐसे मैटेरियल से कवर कर देते है जो रेडियो सिग्नल्स को खुद में सोख लेता है| मतलब ये है कि जो सिग्नल रडार से भेजे जाएंगे वो वापिस न आकर बिलुप्त हो जाएगा
इस स्टील्थ तकनीक का बना लड़ाकू विमान F-117A jo लॉकहीड मार्टिन अमरीकन कंपनी द्वारा त्यार किया गया है
इस F-117A लड़ाकू विमान को देख कर ही आपको आधे से ज्यादा चीजें समझ आ जाएगी कि स्टील्थ तकनीक में जो कुछ भी है सब तकनीक से तैयार की गई विमान के आकार और कवर की जाने वाली मैटेरियल का ही देन है जिससे विमान का अदृश्य होना संभव हुआ!!
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